प्रिय मित्रों जैसा की आज के शीर्षक में आप पढ़ ही चुके है की आज हम कुम्भ राशि पर शनि की साढ़े साती के दूसरे चरण के प्रभाव पर चर्चा करेंगे। कुम्भ राशि पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण 29 अप्रैल 2022 को प्रारम्भ होने जा रहा है। शनि 29 अप्रैल 2022 से लेकर 13 जुलाई 2022 तक कुम्भ राशि में विचरण करेंगे। फिर 13 जुलाई 2022 को वक्री होकर 17 जनवरी 2023 तक पुनः मकर में रहेंगे। अंततः शनि 17 जनवरी 2023 से मार्गी होकर पुनः कुम्भ में प्रवेश कर अगले गोचर तक कुम्भ में ही विचरण करेंगे।
कुम्भ राशि वालों के लिए यह साढ़े साती के प्रथम चरण का अंत होगा। फलस्वरूप कुम्भ राशि वालों पर प्रथम चरण में जो भी समस्याएं आयी उन सभी समस्याओं से उन्हें निजाद मिलेगी। साढ़े साती के प्रथम चरण में कुम्भ राशि के जातकों को स्वास्थ्य , ऋण, शत्रु, अत्यधिक खर्च और कोट कचेरी के मामलों में परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह सभी समस्याएँ साढ़े साती के दूसरे चरण में समाप्त हो जाएँगी जो की कुम्भ राशि वालों के लिए शुभ समाचार है।
कुंभ राशि शनि की मूलत्रिकोण राशि है इसीलिए शनि यहाँ पर शुभ फल अधिक प्रदान करेंगे। परन्तु कुंडली के जिन भावों पर शनि की दृष्टियां होंगी उन क्षेत्रों से जुडी समस्यायों का सामना जातक को करना होगा। क्योकि नियम के अनुसार शनि की दृष्टि कभी भी शुभ फल प्रदान नहीं करती। यदि शनि कुंडली किसी भाव से अपने भाव पर दृष्टि डाले तब भी नकारात्मक प्रभाव ही देगा। इसीलिए यह कह देना की शनि अपनी मूलत्रिकोण राशि में सभी क्षेत्रों में शुभ प्रभाव देंगे, गलत होगा।
चलिए समझने की कोशिश करते है की कुम्भ राशि वालों के लिए साढ़े साती का द्वितीय चरण क्या शुभ अथवा अशुभ परिणाम देगा। जैसा की मैं बता चूका हूँ की इस गोचर में कुम्भ राशि के जातकों को स्वास्थ्य , ऋण, शत्रु, अत्यधिक खर्च और कोर्ट कचेरी के मामलों में परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह सभी समस्याएँ साढ़े साती के दूसरे चरण में समाप्त हो जाएँगी जो की कुम्भ राशि वालों के लिए शुभ समाचार है। परन्तु शनि की तृतीया दृष्टि चंद्र से तृतीया भाव पर होगी। फल स्वरूप जातक को छोटी यात्राओं में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। काम से सम्बंधित भाग दौड़ अधिक रहेगी। हालंकि स्वास्थ्य आमतौर पर पहले से अच्छा रहेगा परन्तु अत्यधिक भाग दौड़ के कारण शारीरिक क्षमता में कमी रहेगी। थकान और सुस्ती अधिक रहेगी।
ऐसे में अपना खान पान अच्छा रखे ताकि अधिक समस्याओं का सामना न करना पड़े। जातक के अपने बेहेन भाइयों से सम्बन्ध भी अच्छे नहीं रहेंगे। यदि संपत्ति का मामला हो तो विवाद और बढ़ने की सम्भावना रहेगी। अच्छा यही होगा की परिवार में विवाद न बढ़ाये और मामला बातचीत से सुलझाए। शनि की सप्तम दृष्टि चंद्र से सप्तम भाव पर होगी। फल स्वरूम पत्नी से मतभेद रहेंगे अथवा पत्नी की स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी रह सकती है। यदि पहले से पति पत्नी में समस्याएं चल रही है तो बात तलाक तक पहुंच सकती है। इसीलिए इस समस्या का हल बातचीत से निकाले और शनि के उपाय अवश्य करे। व्यापार में पार्टनर के साथ भी मतभेद हो सकते है फलस्वरूप व्याप्पर में समस्याएं आ सकती है।
अत्यधिक यात्राओं और भाग दौड़ के चलते पेट से जुडी समस्याएं भी उत्पन्न होगी। इसीलिए बाहर के खाने से परहेज़ करे। जहा तक हो सके साधारण और साफ़ सुथरा भोजन करे। ज्यादा तेलीय और मसालेदार भोजन न करें। अन्यथा वायु रोग होने की सम्भावना रहेगी। शनि की दसवीं दृष्टि चंद्र से दसवे भाव पर होगी। फल स्वरूप पिता अथवा बॉस से रिश्ते बिगड़ सकते है। यदि पिता का स्वास्थ्य पहले से ख़राब चल रहा है तो समस्या बढ़ जाएगी। इसीलिए पिता के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखे तथा कार्यालय में बॉस के साथ रिश्ते न बिगाड़े।
मित्रो कुम्भ राशि पर सादे साती का दूसरे चरण का परिणाम अधिकतर आपकी कुंडली की गृह दशाओं पर भी निर्भर करेगी। यदि शनि आपके लग्न अनुसार शुभ गृह होगा और किसी शुभ गृह की दशा होगी तो शुभ फल अधिक तथा अशुभ फल काम प्राप्त होंगे। परन्तु यदि शनि आपके लग्नानुसार अशुभ स्थिति में होगा तो अशुभ फल अधिक होंगे और कुंडली के अनुसार ही शनि के उपाय करना बेहतर होगा। इसीलिए कोई भी उपाय करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिष से अपनी कुंडली का निरिक्षण अवश्य कराये तथा उपाय कर साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करे।
इस लेख के अंत में मैं यही प्रार्थना करूँगा की ईश्वर आपकी जीवन की सभी समस्याओं का निवारण करें और आप सभी लोगो को एक खुशहाल जीवन की प्राप्ति हो। इसी के साथ आज के इस लेख को मैं यही समाप्त करता हूँ। यदि आप अपनी कुंडली का निरिक्षण मुझसे करवाना चाहते है तो मुझे मेरे व्हाट्सप्प नंबर पर संपर्क करे।
धन्यवाद
ज्योतिष सुनील कुमार