चंद्र चौथे भाव में – चंद्र कुंडली के चतुर्थ भाव में विशेष बलि होता है। क्योकि काल पात्र की कुंडली के अनुसार चतुर्थ भाव में कर्क राशि होती है और यह चन्द्रमा का अपना भाव होता है। चतुर्थ भाव में चंद्र जातक को स्वस्थ शरीर और लम्बी उम्र प्रदान करता है। ऐसा जातक उदार प्रवर्ति तथा अच्छे स्वभाव का होता है। जीवन में हमेशा सबकी मदद करता है। इसी प्रवर्ति के चलते जातक को समाज में बहुत सम्मान की नज़र से देखा जाता है। ऐसा जातक जीवन में कभी कोई गलत काम नहीं करता और न ही किसी की बुराई करता है। यदि चंद्र चतुर्थ भाव में शुभ अवस्था में स्थित हो तो ऐसे जातक को भूमि तथा भवन से विशेष लाभ होता है।
यदि ऐसा जातक भूमि अथवा भवन निर्माण का कार्य करे तो बहुत धन कमाता है। और स्वयं भी बहुत बड़े और आलिशान भवन में प्रवास करता है। चंद्र चतुर्थ भाव में यदि बलि अवस्था में हो तो विवाह उपरान्त जातक का भाग्य उदय होता है। जातक के लिए चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, उसका जीवन साथी उसके लिए बहुत भाग्यशाली होता है। ऐसी स्थिति में जातक को हमेशा अपने जीवन साथी का साथ देना चाहिए तथा कोई भी काम अपने जीवन साथी की सलाह से करना चाहिए। ऐसा करने से जातक को जीवन में बहुत तरक्की मिलती है। विवाह उपरांत नया घर की प्राप्ति होती है। विवाह से पहले आजीविका में अस्थिरता रहती है और जातक को माता पिता का सुख भी कम प्राप्त होता है।
चंद्र चतुर्थ भाव में यदि पृथ्वी तत्त्व वृषभ, कन्या अथवा मकर राशि हो तो जातक का भाइयों से वियोग अथवा सम्बन्ध अच्छे नहीं रहते। जातक अपने भाइयों के लिए जीवन भर जितना भी करे परन्तु उसका फल उसे प्राप्त नहीं होता और भाई कभी भी जातक का एहसान नहीं मानते। यदि चन्द्रमा चतुर्थ भाव में कन्या अथवा मकर राशि में हो तो जातक को जीवन में सम्पत्ति प्राप्त नहीं होती। जातक को न तो पैतृक सम्पति प्राप्त होती है और न ही वह स्वयं संपत्ति का निर्माण करने में सफल होता है। ऐसी स्थिति में जातक को चन्द्रमा से जुड़े उपाय अवश्य करने चाहिए।
चंद्र चतुर्थ भाव में यदि कुम्भ राशि में स्थित हो तो जातक अपने जीवन में संपत्ति अवश्य बनाता है परन्तु बहुत अधिक परिश्रम के बाद ही जातक को सफलता मिलती है। चतुर्थ भाव में चन्द्रमा हो तो जातक के मित्र अधिक होते है परन्तु यदि चंद्र यहाँ पर पाप प्रभाव में हो तो जातक गलत मित्रता में पढ़कर गलत कार्य में लिप्त हो जाता है। चतुर्थ भाव से जातक की अच्छी तथा बुरी संगत को पहचाना जाता है। बच्चो की कुंडली का निरिक्षण करते समय चतुर्थ भाव का निरिक्षण सही से करना विशेष महत्व रखता है क्योकि यदि चतुर्थ भाव में पीड़ित चन्द्रमा हो तो बचपन से जातक की संगत बिगड़ जाती है और जातक का जीवन ख़राब कर देती है। ऐसी स्थिति में चंद्र के उपाय करना अति आवश्यक हो जाता है।