चंद्र तीसरे भाव में – चंद्र तृतीय भाव में हो तो जातक मधुर भाषी , ईश्वर में विशवास रखने वाला तथा तपस्वी होता है। जातक समाज में तथा परिवार में सभी से मिलजुल कर रहता है तथा सभी से प्रेम करता है। परन्तु जातक कफरोग से पीड़ित रहता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्र की तृतीय भाव में हानिकारक बताया गया है। भृगु संहिता के अनुसार यदि चंद्र कुंडली के तीसरे भाव में स्थित हो तो जातक दरिद्र होता है। उसके पास इतना धन भी नहीं होता की भर पेट भोजन कर सके। जातक को जीवन में कई प्रकार के अशुभ फल भोगने पड़ते है। जातक को राजदंड अथवा जेल जाने की भी सम्भावना रहती है।
परन्तु तथ्य इसके कुछ विपरीत है। राजदंड का फल अवश्य मिलता है परन्तु विशेषकर यदि चंद्र तृतीया भाव में पाप पीड़ित अथवा नीच अवस्था में हो तो। परन्तु ऐसी स्थिति में भी दरिद्रता का योग नहीं बनता। क्योकि कुंडली में कोई एक विशेष गृह की स्थति भर आपको दरिद्र नहीं बना सकती। हमें कुंडली में स्थित अन्य भाव जैसे एकादश, द्वितीय भाव तथा उनके स्वामी ग्रहों की स्थति पर भी विचार करना होगा, तभी हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकते की जातक दरिद्र होगा अथवा नहीं। चंद्र तृतीय भाव में यदि सूर्य के साथ युति बनाये तो जातक की बहनों के लिए विशेष नकारात्मक फल प्राप्त होते है। जातक बहन विद्वाह हो सकती है। अथवा बहन का दाम्पत्य जीवन क्षीण होता है। पति से कलह के कारण शय्या सुख में कमी होती है तथा सांसारिक सुख में भी कमी रहती है।
चंद्र तृतीय भाव में यदि मंगल से युति अथवा दृष्ट हो तो जातक जीवन भर अपने भाई और बहिनो के लिए सुख सुविधाएं जोड़ता रहता है। जातक अपने भाई बहिनो से बहुत प्रेम करता है और उनके जीवन में किसी चीज़ की कमी न रहे इसका हर संभव प्रयास करता है। परन्तु जब जीवन में जातक को जरुरत होती है कोई भाई अथवा बहन उसकी मदद के लिए सामने नहीं आता। चंद्र तीसरे भाव में यदि शनि से दृष्ट हो तो जातक न्याय प्रिय और अच्छे विचरों वाला होता है। जीवन में कभी भी अपने फायदे के लिए दूसरों का नुक्सान नहीं करता। जातक अत्यधिक भावुक किस्म का होता, किसी अन्य का दुःख देखकर स्वयं भी दुखी हो जाता है। जातक सत्य का साथ देने वाला, अच्छे विचारों वाला तथा एक नेक दिल इंसान होता है।
चंद्र तीसरे भाव में यदि अकेला हो तो जातक अधिक भ्रमण करने वाला होता है। विदेश यात्रा भी करता है अथवा विदेश में सफल रहता है। यदि चंद्र पर राहु का प्रभाव हो तो जातक जीवन में कई व्यवसाय बदलता रहता है क्योंकि उसका कोई भी व्यवसाय ठीक से नहीं चलता। ऐसे में जातक को चंद्र और राहु से जुड़े उपाय अवश्य करने चाहिए। अन्यथा जातक जीवन के अंतिम पड़ाव पर आकर हार मान लेता है और दरिद्र हो जाता है। चंद्र तृतीय भाव में हो तो जातक यात्राओं द्वारा धन कमा सकता है। जातक वाहन चालक हो सकता है और मैंने अधिकतर देखा है ऐसे लोग विदेश में जाकर अधिक है सफल रहते है। ज्यादा पड़े लिखे न भी हो तो विदेश में रहकर वहां चालक बनकर अच्छा धन कमाते है।