चंद्र दूसरे भाव में यदि बली व शुभ ग्रह के साथ अथवा द्रष्ट हो तो व्यक्ति मीठा बोलने वाला तथा पूर्ण सम्पत्ति का भोग करने वाला होता है। मधुर भाषा होने के कारन जातक समाज में प्रिय होता है।जातक को विभिन्न प्रकार की विचित्र वस्तुओं का शौक होता है, समस्त प्रकार की विचित्र वस्तु का संग्रह करता है। चंद्र यदि द्वितीय भाव में हो तो जातक अत्यधिक सहनशक्ति वाला होता है तथा जातक में शारीरिक क्षमता अधिक होती है। चंद्र की दूसरे भाव में स्थिति जातक को विदेश में रहकर भोग विलास का मौका देती है। यदि किसी चिकित्सक की पत्रिका में यदि चन्द्र दूसरे घर में स्थित हो तो वह चन्द्र के कारक रोगों की चिकित्सा में कुशलता प्राप्त करता है।
द्वितीय भाव में चन्द्र यदि उच्च अथवा स्व राशि वृषम अथवा कर्क में हो तो उसे आर्थिक समस्या नहीं रहती। वह धन जोड़ने में विश्वास करता है।और अपने जीवन में अपार धन एकत्र करने की क्षमता रखा है। ऐसा जातक यदि स्त्री वर्ग से जुड़े कार्य अथवा व्यवसाय करे तो अत्यधिक धन कमाता है। इसी कारण से वह सार्वजनिक कार्यों में अधिक लिप्त होता है। चन्द्र यदि नीच का अर्थात् वृश्चिक अथवा मकर का होने पर आर्थिक क्षेत्र में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। द्वितीय भाव में नीच चन्द्रमा विशेषकर धन में कमी करता है इसीलिए ऐसी स्थिति में चंद्र का उपाय करना अत्यधिक आवश्यक है।
धन के क्षेत्र में आने वाली रुकावटों के कारण जातक हतोत्साही हो जाते हैं। स्वभाव से खर्चीले अधिक होते हैं। जो भी व्यवसाय करते हैं,उसमें भी इन्हें हानि उठानी पड़ती है। मुख्य रूप से हानि का कारण घर के सदस्य व रिश्तेदार बनते हैं। क्योकि कुंडली का दूसरा भाव परिवार का भाव होता है। चंद्र यदि दूसरे भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर लाभ प्राप्त करते हैं। विशेषकर विदेश में अधिक कामयाब रहते है। यदि जन्म अमावस्या अथवा उसके आसपास का होता है तो जीवन में किसी भी अवस्था में इन्हें एक बार आर्थिक अभाव झेलना पड़ता है।
यदि मकर राशि का चन्द्रमा द्वितीय भाव में हो तो जातक को जीवन में एक बार बहुत बदनामी सहनी पड़ती है। इन जातकों को बदनामी वाले कार्यों से दूर रहना चाहिए। चंद्र दूसरे भाव में प्रायः मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व मीन राशि में शुभ फल देता है। कन्या अथवा कुंभ राशि का चन्द्र धन को संचय करने में असमर्थ होता है। द्वितीय भाव का चन्द्र उनके लिये अधिक शुभ होता जिनकी पत्रिका में गुरु अथवा शुक्र के माध्यम से वकील बनने का योग होता है। पापी ग्रह के संयोग से जातक चोरी-डकैती जैसे अनैतिक कार्यो में लिप्त होता है।चंद्र दूसरे भाव में यदि राहु अथवा शनि द्वारा पीड़ित हो तो स्वास्थ्य परेशानी तथा धन हानि का योग बनता है।