चंद्र नवम भाव में – इस घर में चन्द्र के प्रभाव से जातक को शुभ व् अशुभ दोनों ही फल मिलते हैं। अपने पूरे जीवन में सम्पत्ति तथा सन्तति दोनों का सुख प्राप्त होता है परन्तु भाइयों की संख्या में कमी हो सकती है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक स्वभाव का होता है। प्रवास पर भी बहुत रहता है। ऐसे जातक विद्वान व न्यायप्रिय अधिक होते हैं।स्त्री राशि (वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर व मीन) का चन्द्र होने पर पुत्रहीन होने की पूर्ण सम्भावना होती है। यदि अन्य योग बली होता है तो अधिक आयु में ही पुत्र प्राप्ति का योग बनता है। इस घर में यदि चन्द्र अमावस्या के आसपास का हो अथवा पाप प्रभाव अथवा पापयुत हो तो संतान सुख अधिक आयु में ही प्राप्त होता है।
वायु तत्व (मिथुन, तुला व कुंभ) राशि में चंद्र होने से जातक की शिक्षा पूर्ण तो होती है परन्तु कई प्रकार की समस्या अथवा विघ्न आते रहते हैं। पृथ्वी तत्व (वृषभ, कन्या व मकर) राशि में होने पर शिक्षा ही अधूरी रह जाती है। इस भाव के चन्द्र में यदि राहू युति करे तथा मंगल सातवीं दृष्टि से देखे तो व्यक्ति के मन में सदैव हिंसात्मक विचार आते हैं। जातक मद्य प्रेमी भी होता है।
मेष राशि का चन्द्र हो तो भाग्योदय बहुत ही परेशानी से होता है। जातक को जीवन भर अत्यधिक परिश्रम करना पड़ता है धनु राशि का चन्द्र जातक को कुलदीपक बनाता है।जातक अपने जीवन में इतनी उचाईयों तक जाता है की उसके नाम से उसके कुल का नाम रोशन हो जाता है। सिंह राशि में होने पर मृत्यु से कुछ ही समय पहले भाग्योदय होता है। अग्नि तत्व (मेष, सिंह व धनु) राशि तथा जल तत्व (कर्क, वृश्चिकव मीन) राशि में चन्द्र से जातक प्रकाशन के क्षेत्र में धनोपार्जन करता है। इसमें उसका स्तर आयेश, धनेश अथवा कर्मेश की मुख्य भूमिका रहती है।
नोट :- उपरोक्त लिखे गए सभी फल वैदिक ज्योतिष और शास्त्रों के आधार पर लिखे गए है, सभी बारह लग्नो के आधार और अन्य ग्रहों की स्थति के आधार पर फल बदल सकते है