चंद्र सातवे भाव में – चंद्र सप्तम भाव में जातक को शांत और सभ्य स्वभाव का बनाता है। जातक बहुत शांत स्वभाव तथा धैर्यवान होता है। किसी भी कार्य को करने में जल्दी नहीं करता। पूर्णतया विचार विमर्श के पश्चात् ही कोई निर्णय लेता है। चंद्र सप्तम भाव में जातक को अच्छा व्यापारी बनाता है। जातक व्यापर करके बहुत धन कमाता है। यदि व्यापार न करे तो एक उच्चस्तरीय वकील अथवा नेता हो सकता है।
चंद्र यदि सप्तम भाव में हो तो ऐसे जातक विदेश यात्रा अधिक करते है। और भी विदेश सम्बंधित योग हो तो जातक विदेश में रहते है और सफलता हासिल करते है। जातक जलीय यात्रा भी करते है अथवा समुन्द्र पार की यात्रायें करते है। चंद्र सप्तम भाव में हो तो जातक को अपने कार्य , व्यापार और सफलता से सम्बंधित अभिमान होता है। सप्तम भाव में चंद्र अधिकतर शुभ फल प्रदान करते है।
सप्तम भाव में चंद्र यदि उच्च का हो तो जातक विवाह के उपरांत तुरंत उन्नति प्राप्त करता है , परन्तु यह प्रभाव मैंने सप्तम भाव में नीच के चंद्र के रहते हुए भी देखा है जिसने विवाह के उपरांत ही जातक का जीवन परिवर्तन कर दिया। ऐसे जातक को ससुराल अमीर मिलता है और पत्नी अथवा पति भी अच्छा धन कमाकर देते है। मैं समझता हूँ की इन जातकों को कभी भी अपने जीवन साथी से रिश्ते नहीं बिगाड़ने चाहिए अन्यथा धन की हानि होती है। उच्च का चंद्र सप्तम भाव में जातक को भाग्यशाली बनाता है क्योकि यहाँ पर चन्द्रमा नवम भाव अथवा भाग्य का स्वामी होता है।
परन्तु चन्द्रमा सप्तम भाव में जातक के दो विवाह का योग निर्मित करता है। यदि जीवन साथी की मृत्यु हो जाये तो भाग्य साथ छोड़ देता है। आय के साधन स्थिर नहीं रहते। धन कमाने के लिए बार बार व्यवसाय अथवा नौकरी बदलनी पड़ती है। यदि सप्तम भाव पर शुक्र अथवा गुरु का शुभ प्रभाव हो तो दो विवाह का योग भंग हो जाता है और दो विवाह नहीं होते। सप्तम भाव में यदि चंद्र के साथ शुक्र युति करे तो ऐसा जातक अत्यधिक काम वासना से पीड़ित रहता है। ऐसा जातक अपनी पत्नी अथवा पति से संतुष्ट नहीं होता और अन्य सम्बन्ध की खोज में रहता है। यदि राहु का भी प्रभाव हो तो ऐसा जातक अनैतिक तरीको से सम्भोग करने का इच्छुक होता है। इसीलिए उसे अपने जीवन साथी से सम्पूर्ण सुख की प्राप्ति नहीं होती।
चंद्र सप्तम भाव में यदि कुम्भ राशि में हो तो जातक को साधारण सुंदरता वाली पत्नी अथवा पति प्राप्त होता है। यदि मेष, मिथुन अथवा तुला राशि में चंद्र हो तो जातक को सूंदर तथा प्रभावशाली जीवन साथी प्राप्त होता है। और जातक को समाज में अत्यधिक मान सम्मान प्राप्त होता है। यदि चंद्र सप्तम भाव में हो तो जातक को भोजनालय, किराना स्टोर, दूध, दवाई तथा मसालों के व्यापार से अधिक लाभ होता है। यदि धनेश अथवा कर्मेश की युति हो तो जातक इन कार्यों से अत्यधिक धन कमा लेता है।
नोट: उपरोक्त लिखे गए सभी फल वैदिक ज्योतिष के आधार पर लिखे गए है। कुंडली में स्थित अन्य ग्रहों की स्थिति के अनुसार फल में विभिन्नता हो सकती है।