द्वादश (व्यय भाव)- इस भाव का बुध व्यक्ति को बहुत ही धार्मिक, विद्वान व शास्त्र को जानने वाला बनाता है। वह बोलता बहुत कम है। आलसी होता है। ऐसे व्यक्ति का धन कोई अन्य उपयोग नहीं कर पाता है। ऐसा व्यक्ति एक अभिभाषक के रूप में विख्यात होता है। अपनी कमाई का बुहत हिस्सा यज्ञादि में खर्च करता है। उसका बहुत धन अपने शत्रुओं को नाश करने में भी खर्च होता है। इसलिये वह सदैव अपने शत्रुओं को पराजित कर पाता है। ऐसा व्यक्ति साहस भरे कार्यों में अधिक रुचि रखता है। वह अपनी स्पष्टवादिता के कारण नित्य नये शत्रु पैदा करता है।
बुध यदि यहाँ पाप ग्रह के प्रभाव में हो तो व्यक्ति सदैव अवैध व पाप कर्मों में लीन रहता हैं उसके इन्हीं कर्मों के कारण परिवार के लोग उसका तिरस्कार करते हैं। वह इतने कपटी मस्तिष्क का होता है कि समय पर अपने परिवार के लोगों को भी धोखा देने में पीछे नहीं हटता है। परिवार में किसी की शत्रुता होगी तो वह गुप्त रूप से वह पारिवारिक शत्रु की मदद करता है। उसका अन्त रोग से होता है। रोग में वह बहुत कष्ट पाता है। बुध यदि शुभ प्रभाव में हो तो व्यक्ति धार्मिक स्वभाव का होता है। समाज में सम्मान भी मिलता है। बुध यदि कन्या राशि में हो तो जातक का ध्यान तंत्र क्षेत्र व अध्यात्म की ओर अधिक रहता है। वह श्रेष्ठ गुरु के मार्गदर्शन में तंत्रसिद्धि करता है। वह सिद्धि भी ऐसी करता है जो अधिक कठिन व असाध्य होती है लेकिन वह फिर भी सफलता प्राप्त करता है। यहाँ पर बुध यदि मंगल के साथ हो तो जातक को रात में नींद उचट जाती है तथा फिर देर तक आती नहीं है। शनि अथवा राहू के साथ हो तो जातक को शारीरिक सुख कम अथवा बिलकुल नहीं मिलता है।
अगला अध्याय गुरु कुंडली के पहले भाव में
पिछला अध्याय बुध कुंडली के ग्यारहवे भाव में