प्रिय दोस्तों जैसा की आप जानते होंगे की 29 अप्रैल 2022 से मीन राशि पर साढ़ेसाती का प्रथम चरण आरम्भ होगा। क्योकि इस दिन शनि अपनी मौजूदा राशि मकर को छोड़कर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे जो की मीन राशि से पहले आने वाली राशि अथवा मीन से द्वादश भाव की राशि है।आज के इस ब्लॉग में हम जानने की कोशिश करेंगे की शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण मीन राशि वालों के लिए कितना कठिन होगा। तो चलिए शुरू करते है।
दोस्तों जैसा की आप जानते है की ज्योतिष के अनुसार शनि की साढ़ेसाती का सीधा सम्बन्ध मनुष्य को दिए जाने वाले कर्मों के फल से है क्योकि शनि न्याय के देवता है , मनुष्य अपने जीवन में जो भी अच्छे या बुरे कर्म करते है, उनका फल शनि देव उन्हें प्रदान करते है। मीन राशि जलतत्व राशि है, मीन राशि के जातक बिलकुल एक मछली के समान सवेंदनशील होते है, मानसिक तौर पर बहुत भावुक सोच वाले तथा छोटी छोटी बातों को तुरंत मन से लगा लेते है। जब शनि ढाई वर्ष के लिए कुम्भ राशि में गोचर करेंगे तो मीन राशि वाले जातको के मन में एक अजीब सा डर उत्त्पन्न होगा , नींद में कमी और शारीरिक थकावट महसूस होगी।
शनि की सातवीं दृष्टि छटे भाव पर होने से जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी परिशानियों का सामना करना पड़ सकता है। द्वादश भाव में शनि की स्थिति से आय से अधिक खर्च होने का योग बनता है , जातक को अपने स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करना पड़ेगा। यह खर्च स्वास्थ्य के आलावा लम्बी अथवा विदेश यात्रा पर भी हो सकता है और द्वितीय भाव पर दृष्टि के कारण कुटुंब और परिवार पर भी खर्चे अधिक होंगे। परन्तु मीन राशि में शनि लाभ भाव का स्वामी होकर जब द्वादश भाव में गोचर करेंगे तो लम्बी यात्राओं तथा विदेश से व्यापर में उन्नति भी देंगे। जिन जातकों का सपना विदेश में जाकर धन कामना है वह भी पूरा हो सकता है , परन्तु इसके लिए कुंडली में विदेश से जुड़े अन्य योग भी होने चाहिए।
यदि कुंडली में शुभ योग तथा शुभ ग्रहों की दशा होगी तो शनि के अशुभ परिणाम कम प्राप्त होंगे। और यदि किसी अशुभ गृह की दशा होगी तो अशुभ परिणाम अधिक प्राप्त होंगे। दोस्तों गोचर का फल अधिकतर कुंडली में मौजूद अन्य योगो और दशाओं पर निर्भर करता है। शनि की तीसरी दृष्टि धन भाव पर होने से धन के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ेगा। यदि आप आलसी हुए तो आपको धन कमाने में अधिक कठनाई का सामना करना पड़ेगा क्योकि शनि मेहनत के देवता है, वह शुभ फल तभी देते है यदि जातक जी तोड़ मेहनत करे, अन्यथा अशुभ परिणाम प्राप्त होते है।
दोस्तों शनि की साढ़ेसाती का सबसे बड़ा उपाय यही की आप अपना आलस और भय का त्याग कर अत्यधिक मेहनत करें, तभी आप शनि की साढ़ेसाती के शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते है। शनि द्वितीय भाव पर दृष्टि से जातक की वाणी को भी कठोर कर देते है अथवा जातक को जो भी कहना हो वह सीधे किसी भी के मुँह पर अपनी बात कह देते है चाहे जातक की बात कितनी भी कड़वी क्यों न हो। क्योकि शनि न्याय और सच्चाई का पक्ष लेते है और जब जातक शनि की साढ़ेसाती के प्रथम चरण से गुजरता है तो न्याय और सच्चाई के पक्ष में हो जाता है और अपनी कड़वी और सत्य वाणी के कारण जातक अपने पारिवारिक सम्बन्धो को भी ख़राब कर लेता है। ऐसी स्थति में मेरा यही कहना है की जातक को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए और अपनी बात को मन में ही रखे तो ज्यादा बेहतर है।
जब शनि कुंभ राशि से गोचर करते है तो बहुत शक्तिशाली होते है क्योकि कुम्भ राशि शनि की मूलत्रिकोण राशि है , ऐसी स्थिति में शनि जब छटे भाव को देखते है तो शत्रुओं का नाश करते है , शत्रु की दृष्टि से शनि की स्थिति शुभ है परन्तु जातक को स्वास्थ्य सम्बन्धी परिशानिया अवश्य बढ़ती है और बिमारियों पर खर्च भी बढ़ता है, इसीलिए मैं मीन राशि वालों से यही कहना चाहूंगा की धन से अधिक अपने स्वास्थ्य की तरफ ध्यान दे और कोई भी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी को नज़र अंदाज़ न करे। शनि की दृष्टि नवम अथवा धर्म भाव पर होने से जातक का रुझान धार्मिक कार्यों में बढ़ेगा। धर्म स्थलों की यात्राएं भी होंगी। इस दृष्टि के कारण जातक के पिता की भी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानिया बढ़ सकती है क्योकि नवम भाव पिता से भी सम्बन्ध रखता है , अतः पिता के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखे।
अपनी सोच को सकारात्मक रखे और मेहनत करें , मै प्रार्थना करता हूँ की आप लोगो की साढ़ेसाती जल्दी समाप्त हो और शनि देव आपको शुभ फल प्रदान करे. इसी के साथ मैं आज के इस ब्लॉग की समाप्ति करता हूँ अब हम मिलेंगे अपने अगले ब्लॉग में।
धन्यवाद
ज्योतिषी सुनील कुमार