एकादश (आय भाव)- कुंडली के ग्यारहवे भाव में राहू अधिकतर शुभ फल प्रदान करता है। जातक की संतान कम होती है। पेट सम्बन्धी समस्या रहती है, ऐसा जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। अधिकतर ऐसे जातक को किसी अनैतिक कार्यों से धन प्राप्त होता है। संतान समस्याओं से हमेशा परेशान रहता है। ग्यारहवे भाव में राहु व्यक्ति को मशीनरी, चमड़ा उद्योग, लाटरी जैसे कार्यों से अचानक आर्थिक लाभ देता है।
परन्तु ग्यारहवे भाव में राहु की स्थिति जातक को बेहद लालची बना देती है और ऐसे लोग अपने लोगों का धन हड़पने में पीछे नहीं रहते हैं। ऐसा व्यक्ति यदि उच्च सरकारी पद पर हो तो वह रिश्वत अथवा कमीशन लेता है परन्तु उसके पकड़े जाने की सम्भावना बानी रहती है, इस स्थति में यदि राहु अशुभ फल दे तो जातक की जेल तक जाना पड़ता है। यहाँ पर राहू यदि पुरुष राशि (मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु व कुंभ) में हो तो जातक को पुत्र सुख प्राप्ति में बेहद परेशानी होती है।
यह भी एक प्रकार का पितृदोष ही होता है। इस कारण स्त्री जातक हो तो गर्भस्राव अथवा बंध्यत्व के कारण संतान नहीं होती है। कुंडली के बारहवे भाव में राहू जातक को बुद्धि बहुत देता है परन्तु शिक्षा में अवरोध भी बहुत देता है। क्योकि ग्यारहवे भाव से राहु की सीधी दृष्टि पाचवे भाव अथवा शिक्षा स्थान पर पड़ती है। जातक उच्च स्तर का लालची व स्वार्थी होता है। उसको आय का क्षेत्र ऐसा मिलता है जहाँ उसकी आय अचानक होती है और हानि भी उतनी ही अचानक होती है। इसलिए ऐसे जातको को अपने व्यवसाय में अधिक जोखिम नहीं उठाना चाहिए अन्यथा राजा से रैंक जैसी स्थिति बन सकती है।
नोट: उपरोक्त लिखे गए सभी फल वैदिक ज्योतिष के आधार पर लिखे गए है। कुंडली में स्थित अन्य ग्रहों के प्रभाव से फल में विभिन्नता हो सकती है।
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