सूर्य पाचवे भाव में – सूर्य पंचम भाव में जातक को अल्प सन्तत्तिवान अथवा संतानहीन बना सकता है। विशेषकर यदि स्त्री कुंडली में हो तो गर्भपात अवश्य देता है। सूर्य कुंडली का पंचम भाव संतान, स्वास्थ्य एवं शिक्षा का भाव होता है। सूर्य एक विभाजक या विभाजन करने वाला गृह होता है , यह जिस भाव में बैठता है उस भाव के फलों से पृथक करने की कोशिश करता है। विशेषकर जलीय राशि, मीन, वृश्चिक और कर्क में सूर्य हो तो संतान बीमार हो सकती है। सूर्य किसी भी राशि में हो पंचम भाव में कन्या सन्तत्ति अधिक देता है। यदि गुरु की दृष्टि हो तो पुत्र प्राप्ति के योग बनते है।
ऐसा जातक बुद्धिमान और सदाचारी होता है परन्तु यदि सूर्य मेष, सिंह, मिथुन, तुला अथवा कुम्भ राशि में हो तो जातक शीघ्र क्रोधी और दुखी हो जाता है। मिथुन तुला अथवा कुम्भ राशि में सूर्य पंचम भाव में जातक मुर्ख एवं नास्तिक होता है तथा धार्मिक कार्यों में विघ्न उत्पन्न करता है। जातक समाज में सम्मान खोता है और अपमानित होता है। यदि गुरु की दृष्टि हो तो शुभ फल प्राप्त होते है।
सूर्य पंचम भाव में जातक को संतान कष्ट अवश्य देता है , यह कष्ट संतान उत्पत्ति से लेकर संतान की तरफ से जीवन में आने वाली परेशानियों से भी सम्बंधित होता है। अर्थात या तो संतान होती नहीं और अगर कष्टों के उपरान्त हो भी जाए तो जीवन में परेशानिये देती है। इन योगो का निरिक्षण हमेशा विवाह पूर्व कुंडली मिलान में करना चाहिए और कुंडली में ख़राब योगो से सम्बंधित उपाय अवश्य करने चाहिए, तभी इन परेशानियों से बचा जा सकता है।