जातक का जन्म ‘मेष’ लग्न में हुआ और जन्म-कुंडली के प्रथम भाव’ में ‘सूर्य’ की स्थिति हो, उसे सूर्य का फलादेश नीचे लिखा आवश्यकता अनुसार- सूर्य शरीर में उच्च का स्थान अपने मित्र मंगल की राशि पर ठीक नहीं हुआ, मूलतः इसका प्रभाव जातक स्वस्थ्य शरीर वाला, मध्यम कद वाला, रूमानी, युवा और परम विद्वान होंगे। उसकी वाणी विस्तारक होगी, जिसे दूसरे लोग बड़े ध्यान और आदर के साथ सुनेंगे। सन्तान पक्ष की प्रबलता, प्रतिभा, साहस, साहस, शक्ति, व्यवहार करने वाला, महत्वकांक्षा आदि गुण जातक को सहज में प्राप्त होगा। परन्तु, स्त्री व्यवसाय, स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य-टंटे के घर सप्तम भाव पर सूर्य की नीच दृष्टि पड़ रही है, सूय जातक को दांपत्य-सुख में कुछ कमी और क्लेश की प्राप्ति होगी। इसी प्रकार उसे अपनी जीविकोपार्जन के क्षेत्र में भी अनेक प्रकार की पहाड़ियों का सामना करना पड़ेगा। जैसे सूर्य वाले जातक की पत्नी या पति अधिक सूंदर नहीं होता। और वह जातक के मुताबिक नहीं चलती, दोनों में हमेशा तकरार रहती है।
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