चंद्र बारहवे भाव में व्यक्ति को कम आयु में ही नेत्र रोगी बनाता है।जातक की आँखे बचपन से ही कमज़ोर होना शरू हो जाती है। ऐसा जातक कफ रोगी, बिना बात के क्रोध करने वाला होता है। इसको एकान्त में रहना अत्यधिक पसंद होता है, किसी भी कार्य को करने से पहले उस पर चिन्तन…
चंद्र ग्यारहवे भाव में
चंद्र ग्यारहवे भाव में – इस घर का चन्द्र भी धन तथा संतान दोनों का ही सुख देता है। बुद्धि चंचल होती है। व्यक्ति सुखी, अपने क्षेत्र में लोकप्रिय, दीर्घायु तथा राज्य के कार्यों में दक्ष होता है। अन्य शुभ प्रभाव अथवा गुरु के प्रभाव से मंत्र शास्त्र का ज्ञाता होने के कारण यश भी प्राप्त करता…
चंद्र दशम भाव में
चंद्र दशम भाव में – इस घर का चन्द्र भी व्यक्ति को कुलदीपक का स्थान व दीर्घायु दिलाता है। व्यक्ति सदैव लोकहित की बात सोचता है। कभी भी अपना फायदा नहीं सोचता। व्यक्ति लालची किस्म का नहीं होता वह थोड़े में ही संतोष करने वाला परन्तु कमजोर बुद्धि का होता है। ऐसा व्यक्ति एक कुशल…
चंद्र नवम भाव में
चंद्र नवम भाव में – इस घर में चन्द्र के प्रभाव से जातक को शुभ व् अशुभ दोनों ही फल मिलते हैं। अपने पूरे जीवन में सम्पत्ति तथा सन्तति दोनों का सुख प्राप्त होता है परन्तु भाइयों की संख्या में कमी हो सकती है। ऐसा व्यक्ति धार्मिक स्वभाव का होता है। प्रवास पर भी बहुत…
चन्द्रमा अष्टम भाव में
चंद्र आठवे भाव में – चंद्र अष्टम भाव में अत्यधिक कष्टकारी होता है। ऐसा जातक सदैव रोगग्रस्त रहता है। जातक की रोग से लड़ने की क्षमता कम होती है जिसके कारण जातक को छोटी से छोटी बिमारी जल्दी लग जाती है। जातक को नेत्र से सम्बंधित रोग होता है। कुंडली का अष्टम भाव मारक भाव…
चंद्र सातवे भाव में
चंद्र सातवे भाव में – चंद्र सप्तम भाव में जातक को शांत और सभ्य स्वभाव का बनाता है। जातक बहुत शांत स्वभाव तथा धैर्यवान होता है। किसी भी कार्य को करने में जल्दी नहीं करता। पूर्णतया विचार विमर्श के पश्चात् ही कोई निर्णय लेता है। चंद्र सप्तम भाव में जातक को अच्छा व्यापारी बनाता है।…