सूर्य छटे भाव में

सूर्य छटे भाव में

सूर्य छटे भाव में – सूर्य छटे भाव में व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला बनाता है। कुंडली का छठा भाव शत्रु, ऋण, बीमारी एवं नौकरी से सम्बंधित होता है। यदि सूर्य छटे भाव में शुभ अवस्था में हो तो जातक के शत्रु उसके सामने टिकते नहीं। परन्तु इनके शत्रु भहुत अधिक होते है। … Read more

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सूर्य पहले भाव में जातक को स्वाभिमानी और क्रोधी बनाता है, जातक को छोटी छोटी बात पर क्रोध आना एक Read more

सूर्य द्वित्तीय भाव में
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सूर्य दूसरे भाव में होने पर जातक धनवान और भाग्यवान बनता है। क्योकि कुंडली का दूसरा भाव धन भाव होता है Read more

सूर्य तृत्तीय भाव में
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सूर्य तीसरे भाव में – सूर्य तीसरे भाव में व्यक्ति बहुत पराकर्मी बनता है। व्यक्ति को राज्य में सम्मान प्राप्त Read more

सूर्य चतुर्थ भाव में
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सूर्य चौथे भाव में – सूर्य चतुर्थ भाव में अधिकतर अशुभ फल प्रदान करता है। जातक सुन्दर और हृदय से Read more

सूर्य पंचम भाव में
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सूर्य पाचवे भाव में – सूर्य पंचम भाव में जातक को अल्प सन्तत्तिवान अथवा संतानहीन बना सकता है। विशेषकर यदि Read more

सूर्य सप्तम भाव में
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सूर्य सातवे भाव में – सूर्य सप्तम भाव में वैवाहिक जीवन के लिए कष्टकारी होता है। सूर्य यहाँ पर वैवाहिक Read more

सूर्य पंचम भाव में

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सूर्य पाचवे भाव में – सूर्य पंचम भाव में जातक को अल्प सन्तत्तिवान अथवा संतानहीन बना सकता है। विशेषकर यदि स्त्री कुंडली में हो तो गर्भपात अवश्य देता है। सूर्य कुंडली का पंचम भाव संतान, स्वास्थ्य एवं शिक्षा का भाव होता है। सूर्य एक विभाजक या विभाजन करने वाला गृह होता है , यह जिस … Read more

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सूर्य चतुर्थ भाव में

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सूर्य चौथे भाव में – सूर्य चतुर्थ भाव में अधिकतर अशुभ फल प्रदान करता है। जातक सुन्दर और हृदय से कठोर होता है।सूर्य चतुर्थ भाव में जातक को वाहन सुख से हीन करता है और जातक को हमेशा धन की समस्या बानी रहती है।सूर्य चौथे भाव में जातक को अहंकारी बनाता है जिस कारण जातक … Read more

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सूर्य तीसरे भाव में – सूर्य तीसरे भाव में व्यक्ति बहुत पराकर्मी बनता है। व्यक्ति को राज्य में सम्मान प्राप्त होता है और व्यक्ति कवि हो सकता है, प्रतापशाली, समाज में सम्मान पाने वाला होता है। सूर्य तीसरे भाव में जातक को बन्धुविहीन करता है, विशेषकर छोटे भाई या तो होते नहीं हैं, अगर होते … Read more

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सूर्य दूसरे भाव में होने पर जातक धनवान और भाग्यवान बनता है। क्योकि कुंडली का दूसरा भाव धन भाव होता है अतः यहाँ पर सूर्य की स्थिति से जातक अपने जीवन में अपार संपत्ति बनाता है। परन्तु सूर्य पर किसी अशुभ गृह का प्रभाव नहीं होना चाहिए। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से झगड़ालू किस्म का होता है … Read more

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सूर्य पहले भाव में जातक को स्वाभिमानी और क्रोधी बनाता है, जातक को छोटी छोटी बात पर क्रोध आना एक सामान्य बात होती है, ऐसा व्यक्ति स्वभाव से चंचल और बुद्धिमान होता है। लग्न में सूर्य जातक को अच्छी संपत्ति का मालिक बनाता है तथा जातक जिस भी क्षेत्र में होता है बहुत प्रसिद्व व्यक्ति … Read more

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