चंद्रमा

चंद्रमा दशम भाव में

वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, संवेदनशीलता और मानसिक प्रवृत्ति का प्रतीक है। दशम भाव कर्म, पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, कार्यक्षेत्र और सार्वजनिक जीवन से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा दशम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन अपने काम और समाज में अपनी पहचान से गहराई से जुड़ जाता है।

ऐसा व्यक्ति अपने कार्य को केवल जिम्मेदारी नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से जीता है। उसे अपने काम में संतोष और मान सम्मान चाहिए। वह चाहता है कि समाज उसे पहचाने और उसके प्रयासों की सराहना हो। कार्यक्षेत्र में उसकी छवि लोगों पर जल्दी असर डालती है।

दशम भाव में चंद्रमा व्यक्ति को जनता से जुड़ा हुआ बनाता है। वह लोगों की जरूरतों और भावनाओं को समझने में सक्षम होता है, इसलिए राजनीति, प्रशासन, प्रबंधन, मीडिया, शिक्षा या जनसेवा जैसे क्षेत्रों में सफल हो सकता है। जहां लोगों से संपर्क और विश्वास जरूरी हो, वहां यह स्थिति लाभ देती है।

हालांकि मन की अस्थिरता करियर में उतार चढ़ाव भी ला सकती है। व्यक्ति कभी बहुत प्रेरित होता है और कभी अचानक मन बदल सकता है। यदि चंद्रमा कमजोर हो तो बार बार नौकरी बदलने की प्रवृत्ति, कार्यक्षेत्र में असंतोष या वरिष्ठों से भावनात्मक टकराव देखने को मिल सकता है।

माता का प्रभाव करियर पर भी पड़ता है। कई बार मां की सलाह या सहयोग व्यक्ति के कार्यजीवन की दिशा तय करता है। यदि चंद्रमा शुभ हो तो माता के आशीर्वाद से सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।

मानसिक रूप से व्यक्ति काम को लेकर बहुत संवेदनशील होता है। सफलता मिलने पर आत्मविश्वास बढ़ता है और असफलता उसे भीतर तक प्रभावित करती है। इसलिए मानसिक संतुलन बनाए रखना उसके लिए अत्यंत आवश्यक होता है।

कुल मिलाकर दशम भाव में चंद्रमा व्यक्ति को कर्म के माध्यम से पहचान पाने वाला बनाता है। जब वह अपने मन को स्थिर रखकर निरंतर प्रयास करता है, तब यही स्थिति उसे सम्मान, लोकप्रियता और सामाजिक सफलता दिलाने वाली बन जाती है।

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