• चंद्रमा

    चंद्रमा द्वितीय भाव में

    वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन, भावनाओं, संवेदनशीलता, माता और मानसिक स्थिति का प्रतीक माना जाता है। द्वितीय भाव धन, परिवार, वाणी, भोजन और संस्कारों से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा द्वितीय भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन सीधे इन विषयों से जुड़ जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और आर्थिक स्थिति को लेकर बहुत भावनात्मक होता है और इन्हीं बातों से उसकी मानसिक शांति या अशांति तय होती है। इस स्थिति में व्यक्ति की वाणी में भावनाएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। वह जो भी बोलता है उसमें दिल शामिल होता है। ऐसे लोग मधुर…

  • चंद्रमा

    चंद्रमा प्रथम भाव में

    वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, संवेदनशीलता, माता और मानसिक स्थिति का प्रतिनिधि ग्रह है। प्रथम भाव को लग्न भाव कहा जाता है और यह व्यक्ति के शरीर, व्यक्तित्व, स्वभाव और जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण को दर्शाता है। जब चंद्रमा प्रथम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन और व्यक्तित्व एक दूसरे से पूरी तरह जुड़ जाते हैं। ऐसा व्यक्ति जो सोचता है वही उसके चेहरे, व्यवहार और प्रतिक्रिया में साफ दिखाई देता है। इस स्थिति में व्यक्ति स्वभाव से भावुक, कोमल और संवेदनशील होता है। वह दूसरों की भावनाओं को जल्दी समझ लेता है और उनके…

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    भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु की विस्तृत कथा (महाभारत और श्रीमद्भागवत के अनुसार)

    भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर अवतार केवल धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए हुआ था। जब उनका कार्य पूरा हो गया और द्वारका में यादव कुल के भीतर अराजकता बढ़ने लगी, तब उनका पृथ्वी-लीला समापन की ओर बढ़ा। यह कथा अत्यंत गहरी और शिक्षाप्रद है। नीचे इस घटना का क्रमबद्ध और विस्तृत वर्णन दिया गया है। 1. यादव वंश का पतन प्रारंभ होना महाभारत युद्ध के बाद शांति का समय आया। द्वारका समृद्ध और शक्तिशाली थी। लेकिन उसी समय एक घटना घटी जो यादव कुल के विनाश का कारण बनी। एक दिन ऋषि—नारद, दुर्वासा और विश्वामित्र—द्वारका आए।…

  • सूर्य

    सूर्य बारहवें भाव में

    बारहवाँ भाव हानि, व्यय, विदेश, एकांत, मोक्ष, आध्यात्मिकता, अस्पताल, आश्रम, त्याग और अवचेतन मन का क्षेत्र माना जाता है। जब सूर्य इस भाव में स्थित होता है, तब यह व्यक्ति को जीवन की गहराइयों, आध्यात्मिक मार्ग और भीतर की दुनिया से जोड़ता है। सूर्य यहाँ रहस्यमयी, अंतर्मुखी और कभी-कभी खर्च बढ़ाने वाले प्रभाव भी देता है। स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसे व्यक्ति अंतर्मुखी, संवेदनशील, कल्पनाशील और गहरे विचारों वाले होते हैं। कई बार यह लोग अपनी भावनाएँ खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते और अपने भीतर एक अलग दुनिया बनाकर रखते हैं। अकेले रहना पसंद करना, शांत वातावरण की चाह और गुप्त…

  • सूर्य

    सूर्य ग्यारहवें भाव में

    कुंडली का ग्यारहवाँ भाव लाभ, आय, इच्छाओं की पूर्ति, सामाजिक नेटवर्क, मित्र, बड़े लक्ष्य और महत्वाकांक्षाओं का घर माना जाता है। जब सूर्य इस भाव में स्थित हो जाता है, तो यह व्यक्ति को आय, प्रतिष्ठा, बड़े लोगों से संबंध और जीवन में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करता है। यह सूर्य का एक अत्यंत लाभदायक और प्रगतिशील स्थान माना जाता है। स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसे जातक बहुत महत्वाकांक्षी, योजनाबद्ध, सामाजिक और आत्मविश्वासी होते हैं। रिश्ते बनाने और नेटवर्क बढ़ाने में माहिर रहते हैं। व्यक्तित्व में नेतृत्व के गुण होते हैं, और लोग इनके विचारों और सुझावों को महत्व देते…

  • सूर्य

    सूर्य दसवें भाव में

    दसवाँ भाव कर्म, करियर, प्रतिष्ठा, सामाजिक पहचान, प्रसिद्धि और जिम्मेदारियों का घर माना जाता है। जब सूर्य इस भाव में स्थित हो, तो यह ज्योतिष में सबसे शक्तिशाली और शुभ स्थानों में गिना जाता है। सूर्य यहाँ अपनी पूरी चमक के साथ प्रभाव डालता है और व्यक्ति को कर्म, समाज और मेहनत के क्षेत्र में पहचान दिलाता है। स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसे जातक आत्मविश्वासी, कर्तव्यनिष्ठ, मेहनती और नेतृत्व गुणों से भरपूर होते हैं। व्यक्तित्व में एक स्वाभाविक authority दिखाई देती है और लोग इन्हें सम्मान से देखते हैं। निर्णय लेने की क्षमता अच्छी होती है और स्थिति को नियंत्रण में…

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    सूर्य नौवें भाव में

    कुंडली का नवम भाव भाग्य, धर्म, शिक्षा, गुरु, यात्रा, सिद्धांत और जीवन दर्शन का घर माना जाता है। जब सूर्य इस भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति के जीवन में भाग्य का विशेष हस्तक्षेप, ऊँचे विचार, धार्मिक/आध्यात्मिक झुकाव और पिता व गुरु से मिलने वाले मार्गदर्शन का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। स्वभाव और व्यक्तित्व ऐसे जातक उच्च आदर्शों वाले, नैतिक मूल्यों को मानने वाले और सिद्धांतवादी होते हैं। सत्यप्रिय, आत्मविश्वासी और अपने विचारों पर दृढ़ रहते हैं। इन्हें दूर की सोच, दर्शन और आध्यात्मिक ज्ञान में रुचि रहती है। जीवन में भाग्य कई बार महत्वपूर्ण मोड़ लाता है और…

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    सूर्य आठवें भाव में

    कुंडली में आठवां भाव सबसे रहस्यमयी, गूढ़ और परिवर्तनकारी माना जाता है। यहाँ उपस्थित ग्रह जातक के जीवन में गहरी ऊर्जाएँ, अप्रत्याशित घटनाएँ, मानसिक व आध्यात्मिक परिवर्तन लेकर आते हैं। जब सूर्य इस भाव में स्थित हो, तब आत्मविश्वास, अहं, पिता से जुड़े विषय, जीवन में उतार–चढ़ाव और गोपनीय पहलू बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। सूर्य आठवें भाव में – संपूर्ण प्रभाव सूर्य यहाँ तामसिक और रहस्यमयी वातावरण के बीच अपनी रोशनी बिखेरता है। जातक जीवन के रहस्यों को समझने वाला, शोधप्रिय, धीरे-धीरे सफलता पाने वाला और अपने अंदर एक गहरी शक्ति रखने वाला बनता है। यह स्थिति व्यक्ति को…

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    सूर्य सातवें भाव में

    जन्मकुंडली का सातवाँ भाव विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी, व्यापारिक संबंध, सार्वजनिक छवि और सामाजिक व्यवहार का प्रतिनिधि है। यह भाव संबंधों की परिपक्वता, सहयोग और संतुलन को दर्शाता है। जब सूर्य इस भाव में स्थित होता है, तो यह रिश्तों में अधिकार, नेतृत्व और आत्मसम्मान का प्रभाव लेकर आता है। सूर्य का तेज यहाँ व्यक्ति को आकर्षक और प्रभावशाली बनाता है, लेकिन रिश्तों में कुछ गर्माहट और अहं भी जोड़ सकता है। विवाह और जीवनसाथी सातवें भाव में सूर्य विवाह को महत्वपूर्ण और जीवन का केंद्र बिंदु बना देता है।जातक को ऐसा जीवनसाथी मिल सकता है जो तेजस्वी, आत्मविश्वासी, प्रभावशाली या…

  • सूर्य

    सूर्य छटे भाव में

    जन्मकुंडली का छठा भाव ऋण, रोग, शत्रु, प्रतियोगिता, संघर्ष, सेवा, नौकरी, अनुशासन, कार्यस्थल और मानसिक दृढ़ता का प्रतिनिधि है। सूर्य जब इस भाव में आता है, तो जातक के जीवन में संघर्ष, चुनौतियाँ और आत्मशक्ति दोनों को बढ़ाता है। यह स्थिति व्यक्ति को मजबूत बनाती है, परंतु कुछ क्षेत्रों में कठोर अनुभव भी दे सकती है। कार्यस्थल और नौकरी छठे भाव में सूर्य वाला व्यक्ति मेहनती, अनुशासित और जिम्मेदार स्वभाव का होता है।नौकरी या सर्विस सेक्टर में इसे सफलता जरूर मिलती है क्योंकि सूर्य यहाँ संघर्षों को जीतने की शक्ति देता है।ऐसे जातकसरकारी नौकरीप्रशासनिक पदपुलिस, सेना, सुरक्षा सेवाएँचिकित्साकानूनन्यायालयया किसी भी…