वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, इच्छाओं और मानसिक संतोष का प्रतीक है। एकादश भाव लाभ, आय, इच्छापूर्ति, मित्र, सामाजिक नेटवर्क और बड़े समूहों से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा एकादश भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन अपनी इच्छाओं, उपलब्धियों और सामाजिक संबंधों से गहराई से जुड़ जाता है। ऐसा व्यक्ति लोगों के बीच रहना पसंद करता है। उसे मित्रों से बातचीत, समूहों में काम करना और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होना मानसिक संतोष देता है। उसके मित्र अक्सर भावनात्मक रूप से उससे जुड़े होते हैं और वह भी उनके सुख दुख को दिल से महसूस करता…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, संवेदनशीलता और मानसिक प्रवृत्ति का प्रतीक है। दशम भाव कर्म, पेशा, सामाजिक प्रतिष्ठा, कार्यक्षेत्र और सार्वजनिक जीवन से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा दशम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन अपने काम और समाज में अपनी पहचान से गहराई से जुड़ जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने कार्य को केवल जिम्मेदारी नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से जीता है। उसे अपने काम में संतोष और मान सम्मान चाहिए। वह चाहता है कि समाज उसे पहचाने और उसके प्रयासों की सराहना हो। कार्यक्षेत्र में उसकी छवि लोगों पर जल्दी असर डालती है। दशम भाव…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, आस्था और मानसिक झुकाव का प्रतीक है। नवम भाव भाग्य, धर्म, विश्वास, गुरु, उच्च शिक्षा, लंबी यात्राएँ और जीवन दर्शन से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा नवम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन स्वाभाविक रूप से धर्म, आस्था और जीवन के अर्थ की ओर झुक जाता है। ऐसा व्यक्ति भीतर से श्रद्धालु और विचारशील होता है। वह केवल परंपराओं का पालन ही नहीं करता बल्कि उनके पीछे के भाव और अर्थ को भी समझना चाहता है। उसका विश्वास भावनाओं से जुड़ा होता है, इसलिए वह जिस विचारधारा या गुरु को मानता…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, अवचेतन और मानसिक संवेदनशीलता का ग्रह है। अष्टम भाव अचानक होने वाली घटनाओं, गूढ़ विषयों, रहस्य, परिवर्तन, भय, दीर्घायु और गहन अनुभवों से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन सामान्य से अधिक गहराई में काम करता है। ऐसा व्यक्ति जीवन को सतही रूप में नहीं बल्कि भीतर तक महसूस करता है। इस स्थिति में व्यक्ति अत्यंत संवेदनशील और भावनात्मक रूप से गहरा होता है। उसके मन में कई बातें चलती रहती हैं जिन्हें वह आसानी से दूसरों के साथ साझा नहीं करता। वह रहस्यमय स्वभाव…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, संवेदनशीलता और संबंधों में जुड़ाव का प्रतीक है। सप्तम भाव विवाह, जीवनसाथी, साझेदारी और सार्वजनिक संबंधों से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा सप्तम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन सीधे रिश्तों से जुड़ जाता है। ऐसा व्यक्ति अकेले रहने की बजाय किसी न किसी संबंध में रहकर ही खुद को पूर्ण महसूस करता है। इस स्थिति में व्यक्ति जीवनसाथी से गहरी भावनात्मक अपेक्षा रखता है। वह चाहता है कि उसका साथी उसे समझे, उसका ख्याल रखे और भावनात्मक सुरक्षा दे। रिश्तों में अपनापन और संवाद उसके लिए बहुत जरूरी होता है।…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति का कारक ग्रह है। षष्ठ भाव रोग, ऋण, शत्रु, सेवा, संघर्ष और दैनिक जीवन की जिम्मेदारियों से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा षष्ठ भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन लगातार संघर्ष और समाधान की स्थिति में रहता है। ऐसा व्यक्ति जीवन की चुनौतियों से भावनात्मक रूप से जूझता है और समस्याओं को दिल से महसूस करता है। इस स्थिति में व्यक्ति सेवा भाव वाला होता है। वह दूसरों की मदद करने में मानसिक संतोष महसूस करता है और कठिन परिस्थितियों में भी जिम्मेदारी उठाने से पीछे नहीं हटता।…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, कल्पनाशक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक ग्रह है। पंचम भाव बुद्धि, रचनात्मकता, प्रेम, संतान, शिक्षा और पूर्व पुण्य से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा पंचम भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन रचनात्मक सोच, भावनात्मक बुद्धि और प्रेमपूर्ण अभिव्यक्ति की ओर झुक जाता है। ऐसा व्यक्ति स्वभाव से कल्पनाशील और भावनात्मक रूप से बुद्धिमान होता है। उसकी सोच में गहराई होती है और वह चीजों को केवल तर्क से नहीं बल्कि भावना से भी समझता है। पढ़ाई लिखाई में रुचि तब अधिक होती है जब विषय उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से आकर्षित…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, माता, स्मृति और आंतरिक शांति का प्रतीक ग्रह है। चतुर्थ भाव सुख, घर, माता, मातृभूमि, संपत्ति और मानसिक संतुलन से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा चतुर्थ भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन घर, परिवार और आंतरिक शांति से गहराई से जुड़ा रहता है। ऐसा व्यक्ति भीतर से बहुत संवेदनशील और भावनात्मक होता है। उसे अपने घर, अपनी जड़ों और अपने लोगों से गहरा लगाव होता है। घर का वातावरण यदि शांत और प्रेमपूर्ण हो तो यह व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत मजबूत रहता है, लेकिन घर में अशांति होने पर उसका…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, संवेदनशीलता और मानसिक प्रवृत्ति का प्रतीक है। तृतीय भाव साहस, पराक्रम, संवाद, लेखन, छोटे भाई बहन, प्रयास और दैनिक मेहनत से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा तृतीय भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन लगातार सक्रिय रहता है और वह अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बेचैन रहता है। ऐसा व्यक्ति बोलने, लिखने और अपनी बात रखने में सहज होता है। उसकी सोच भावनात्मक जरूर होती है लेकिन उसमें रचनात्मकता भी होती है। वह अपनी भावनाओं को शब्दों के माध्यम से बाहर निकालना चाहता है। इसी कारण लेखन, मीडिया,…
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वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को मन, भावनाओं, संवेदनशीलता, माता और मानसिक स्थिति का प्रतीक माना जाता है। द्वितीय भाव धन, परिवार, वाणी, भोजन और संस्कारों से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा द्वितीय भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन सीधे इन विषयों से जुड़ जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने परिवार और आर्थिक स्थिति को लेकर बहुत भावनात्मक होता है और इन्हीं बातों से उसकी मानसिक शांति या अशांति तय होती है। इस स्थिति में व्यक्ति की वाणी में भावनाएँ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं। वह जो भी बोलता है उसमें दिल शामिल होता है। ऐसे लोग मधुर…