वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं, कल्पनाशक्ति और अवचेतन का प्रतीक ग्रह है। द्वादश भाव त्याग, खर्च, एकांत, विदेश, नींद, मोक्ष और आंतरिक संसार से जुड़ा होता है। जब चंद्रमा द्वादश भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति का मन बाहरी दुनिया से अधिक भीतर की दुनिया में रहने लगता है।
ऐसा व्यक्ति स्वभाव से अंतर्मुखी और संवेदनशील होता है। वह भीड़ से दूर रहकर अकेले में सोचने, महसूस करने और समझने में अधिक सहजता पाता है। उसका मन अक्सर कल्पनाओं, स्मृतियों और गहरे भावनात्मक अनुभवों में डूबा रहता है।
इस स्थिति में खर्च का संबंध भी मन से जुड़ा होता है। व्यक्ति भावनाओं के प्रभाव में खर्च कर सकता है, खासकर उन चीजों पर जो उसे मानसिक शांति या भावनात्मक सुकून दें। विदेश यात्रा या विदेश से जुड़े कार्य भी उसके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
नींद और सपनों का प्रभाव गहरा होता है। ऐसे व्यक्ति के सपने बहुत स्पष्ट और भावनात्मक होते हैं। कई बार नींद पूरी न होना या मन का भटकना मानसिक थकान पैदा कर सकता है। ध्यान, साधना या एकांत उसे मानसिक संतुलन देने में सहायक होते हैं।
द्वादश भाव में चंद्रमा व्यक्ति को त्याग और करुणा की ओर ले जाता है। वह दूसरों के दुख को जल्दी महसूस करता है और बिना दिखावे के मदद करने की भावना रखता है। आध्यात्मिकता, सेवा या रहस्यमय विषयों में उसकी रुचि हो सकती है।
यदि चंद्रमा कमजोर हो तो अकेलापन, भावनात्मक खालीपन या पलायन की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। व्यक्ति वास्तविक समस्याओं से बचने के लिए कल्पनाओं में खो सकता है। मजबूत चंद्रमा होने पर वही एकांत व्यक्ति के लिए आत्मिक शांति और गहराई का स्रोत बन जाता है।
कुल मिलाकर द्वादश भाव में चंद्रमा व्यक्ति को भीतर की यात्रा पर ले जाने वाला योग है। जब वह अपने मन को समझना और स्वीकार करना सीख लेता है, तब यही स्थिति उसे करुणा, त्याग और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करती है।
