वैदिक ज्योतिष में पहला भाव जन्मकुंडली का सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इसे लग्न या आत्मभाव कहा जाता है और यह आपके व्यक्तित्व, आत्मविश्वास, स्वभाव, शारीरिक बनावट और जीवन की दिशा को दर्शाता है। जब सूर्य इस स्थान पर स्थित हो, तो जातक का सम्पूर्ण जीवन सूर्य की तेजस्विता, ऊर्जा और अहं के प्रभाव से रंग जाता है। व्यक्तित्व और स्वभाव पहले भाव में सूर्य होने से व्यक्ति स्वाभाविक रूप से तेजस्वी, आत्मविश्वासी और प्रभावशाली होता है। उसकी उपस्थिति में एक अलग प्रकार का आकर्षण दिखाई देता है। ऐसे जातक अपनी बात बेझिझक रखते हैं और नेतृत्व की भावना…